प्रेमाश्रम--मुंशी प्रेमचंद

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दुखरन– यह बड़ा अन्धेर है। यह लोग आदमी काहे के, पूरे राक्षस हैं, जिन्हें दयाधरम का विचार नहीं। डपट– दिन-भर के थके-माँदे बैल हैं, न जाने कहाँ गाड़ी ले जानी पड़ेगी ...

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